SC/ST रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर लागू नहीं होगा:केंद्र सरकार का फैसला; सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सरकार को विचार करना चाहिए लोकसभा और राज्यसभा के 100 एसटी/एससी भाजपा सांसदों ने 9 अगस्त को संसद भवन में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा।
अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 अगस्त) को संसद भवन में उनसे मिलने आए 100 दलित सांसदों को यह आश्वासन दिया। देर शाम केंद्र ने इसकी घोषणा भी कर दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने 1 अगस्त को यह टिप्पणी की थी कि SC-ST में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार करना चाहिए। इसे लेकर दलित सांसदों ने PM से मिलकर अपनी चिंता जताई थी। 9 अगस्त की शाम को कैबिनेट मीटिंग हुई। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि NDA सरकार बीआर अंबेडकर के बनाए गए संविधान से बंधी है। इस संविधान में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है।सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रही सरकार भाजपा के ओडिशा से लोकसभा सांसद रबींद्र नारायण बेहरा ने भास्कर को बताया, सभी सासंदों ने एक स्वर से PM से मांग की कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू मत करिए। इस पर पीएम ने आश्वस्त किया है कि SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर को नहीं लाया जाएगा। बेहरा के अनुसार, PM ने कहा कि सरकार फैसले का अध्ययन कर रही है। क्रीमी लेयर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं, सुझाव है।
सांसद बृजलाल और डॉ. सिकंदर कुमार ने भी कहा कि हमारी चिंताओं पर प्रधानमंत्री ने कहा, वे सांसदों की भावनाओं के अनुरूप काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- राज्य आरक्षण में सब कैटेगरी बना सकते हैं सुप्रीम कोर्ट ने 1 अगस्त को 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटते हुए कहा था- राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है। 7 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई ने कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के बीच भी क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण का लाभ देने से इनकार करने के लिए एक नीति विकसित करनी चाहिए
कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी और कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। इसके लिए दो शर्तें होंगी... पहली: अनुसूचित जाति के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरी: अनुसूचित जाति में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए। फैसले का आधार: अदालत ने फैसला उन याचिकाओं पर सुनाया है, जिनमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों को सब-कैटेगरी में नहीं बांट सकते। फैसले के मायनेः राज्य सरकारें अब राज्यों में अनुसूचित जातियों में शामिल अन्य जातियों को भी कोटे में कोटा दे सकेंगी। यानी अनुसूचित जातियों की जो जातियां वंचित रह गई हैं, उनके लिए कोटा बनाकर उन्हें आरक्षण दिया जा सकेगा। मसलन- 2006 में पंजाब ने अनुसूचित जातियों के लिए निर्धारित कोटे के भीतर वाल्मीकि और मजहबी सिखों को सार्वजनिक नौकरियों में 50% कोटा और पहली वरीयता दी थी।
सरकार ने पहले भी सुप्रीम कोर्ट की मंशा से अलग फैसले लिए
1. शैक्षणिक संस्थानों में सीटें आरक्षित करने का मामला 1951 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि उम्मीदवार की धर्म या जाति के आधार पर सरकार एडमिशन में सीटें आरक्षित नहीं कर सकती। 1951 में सरकार ने संविधान में पहला संशोधन किया और आरक्षण का हक दिया।
2. इंदिरा सरकार ने चुनाव को चुनौती देने पर फैसला पलटा 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी को रायबरेली चुनाव में धांधली करने का दोषी पाया। सरकार ने संविधान में संशोधन किया कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर के चुनाव को किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध करार दे रद्द कर दिया।
3. शाह बानो मामले में गुजारे भत्ते के हक पर बदला फैसला 1985 में शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि धारा 125 के तहत तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं गुजारे भत्ते का हक मांग सकतीं हैं। सरकार ने इस फैसले को पलटा।
4. SC-ST एक्ट के तहत बिना मंजूरी गिरफ्तारी का मुद्दा मार्च 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि SC-ST एट्रोसिटीज एक्ट 1989 के तहत सरकारी अफसरों को गिरफ्तार करने से पहले अनुमति लेनी होगी, जांच किए बगैर FIR भी दर्ज नहीं होगी। सरकार ने प्रावधान किया कि बिना FIR और बिना किसी की अनुमति के भी गिरफ्तारी हो सकती है।
केंद्रीय कैबिनेट ने शुक्रवार (9 अगस्त) को प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी 2.0 योजना को मंजूरी दे दी है। योजना के तहत 3,60,000 करोड़ रुपए की लागत से तीन करोड़ घर बनेंगे। वहीं कनेक्टिविटी में सुधार करने के लिए, आठ रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट में लिए फैसलों की जानकारी दी।
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